रविवार, 1 मार्च 2015

चक बंदी के प्रणेता श्री गणेश  "गरीब " जी को जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई |

                                                   " सबसे सवाल है "
उत्तरा खंड की राजनीति के अनेकों सवाल हैं ,चक बंदी आंदोलन के लिए आपका क्या ख्याल है |
क्यों कर रहा शासन तंत्र अनोखा धमाल है ,हर किसान के मन में आज यही मलाल है |
सब सोच रहे थे उत्तराखंड अब बन गया ,हमें भी मिल पायेगा पुरखों का आशीर्वाद है |
पर किसानों के मन में तो भरा अवसाद है ,क्या गरीब जी के अभियान का मिल पायेगा उन्हें प्रसाद है |
सारे किसान ढूंढ़ते ही रहे जो उन्हें नहीं मिल सका ,क्यों कि बांटा ही यहाँ बे हिसाब था |
जो कुछ भी मिला उन्हें शायद यही उनके नाम था ,राजनीति करना तो नेताओं का काम था |
आज देव भूमि चौराहों का खेल बन गयी ,विचारों व वायदों को सेल कर गयी |
किसानों के अरमानों को तो दलों में दल गयी ,आम आदमी कि भावनाओं को भी छल गयी |
यह तो उत्तराखंड के किसानों का कमाल है ,जो अब तक झेल रहें  शासन का जमाल हैं |
पर पहाड़ के किसानों का तो बुरा हाल है ,क्या नेताओं को इस बात का जरा भी ख्याल है |
हम देख सुन कर भी चुप ही थे अभी ,न हो पाये वे सपने पूरे जोकिसानों  देखे थे  कभी |
गरीब तो इस देश में गरीबी कि रेखा से नीचे हो गए ,माफियों ने उन्हीं के  दम पर अपने महल खड़े किये |
पहाड़ को बचाना हमारा भी तो फर्ज है ,किसानो को प्रगिति कि राह दिखाना ही हमारी अर्ज है |
आँखे गढ़ाए बैठें हैं दो दो पडोसी दुश्मन यही तो मर्ज है ,चक  बंदी को पहाड़ में लागु करना ही हमारी गर्ज है |
हमारा देश सोने कि चिडया कहलाता था कभी, आज बे शुमार कर्जे में दुबे हैं हम सभी |

हम तो सोच ही रहें हैं जरा आप भी सोचिये ,कैसे लागु करेंपहाड़ में  चकबंदी को मिल कर तो बैठिये |

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें