मंगलवार, 20 मई 2014

इश्क़

ज़माने भर की तमाम मुश्किलें साथ-साथ लिये चलते हैं,
इश्क़ के दीवाने बस यही काम ही तो करते हैं,
कभी तपती चट्टानों पे भी सिर पटकते हैं,
कभी-कभी तो लिबास की तरह हुस्न बदलते हैं |

                             इश्क़ ने सताया हुस्न ने जी भर के रुलाया
                             पूछो आशिक से उसने जिंदगी में क्या पाया
                             कोई तो छोड़ जाते हैं अधर में जीवन के,
                             पूछो जाकर उन इश्क़ के दीवानों से |

वह तो उसे गुनगुना भी नहीं सकता,
उसका नाम होठों पर ला भी नहीं सकता,
कैसे सुन्दर गीत बनाये थे उसके लिये,
कैसा समय आया उनको गा भी नहीं सकता |

                             कौन कहता ही कि मोहब्बत कि जुबां होती है,
                             यह तो वह हकीकत हैं कि नजरों से बयां होती है,
                             कोई भी चाहे कुछ भी कहे या समझे,
                             आशिक की जिन्दगी तो यूं ही फ़ना होती है |

ग़ालिब ने भी हुस्न के लिये दुआ की थी,
हम भी उसकी मोहब्बत की कसमें कहते हैं,
जब तड़पते हैं दिन रात उनके लिए,
फिर भी न जाने क्यों उनसे ही इश्क़ की दवा मांगते हैं |


6 टिप्‍पणियां :

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन जल ही जीवन है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. कौन कहता ही कि मोहब्बत कि जुबां होती है,
    यह तो वह हकीकत हैं कि नजरों से बयां होती है,
    कोई भी चाहे कुछ भी कहे या समझे,
    आशिक की जिन्दगी तो यूं ही फ़ना होती है |
    क्या बात है ! बहुत खूब

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