शनिवार, 26 अप्रैल 2014

ट्वन्टी-ट्वन्टी का क्रिकेट

नेता तो सदियों से ही बिकते थे अब तो खिलाड़ी भी बिक रहे हैं |
पैसा ही पैसा पाने के लिए देखो कैसे-कैसे खिलाड़ी आगे बढ़ रहे है |
क्या कमी थी पैसों की कोहली व धोनी को 
जो अपनी अपनी बोली लगवा कर, गाजर मूली की तरह बिक रहे है |
क्या इस तरह ये खिलाड़ी मान व सम्मान पा सकेंगे ?
अपनी-अपनी  बोली लगवा कर कितना धन कमा सकेंगे ?
अब तो नेताओं की तरह इनका भी होगा वैसा ही मान |
गवां देंगे ये अब तक का पाया क्रिकेट से सम्मान |
अगर ये अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाये तो 
क्रिकेट प्रेमी हो जायेंगे निराश |
नहीं रहेगा इन क्रिकेटरों पर उनका विश्वास |
फिर इनको कौन सी टीम अपने में शामिल कर पायेंगी ?
ये भी क्या आने वाली मुसीबतों को झेल पायेंगे ?
ये नहीं जानते क्रिकेट तो है एक बहुत बड़ा जुनून 
यह केवल खेल ही नहीं है यह तो बन जाता है मजबून 
कभी भी कुछ भी इस खेल में हो सकता है |
कोई भी हीरो जीरो पर आउट होकर पैवेलियन लौट सकता है |
धीरे-धीरे घट रही है इस खेल की सीमा 
खिलाडियों को तो करा लेना चाहिए अपना-अपना बीमा
पचास से ट्वेन्टी पर आ गई है क्रिकेट की मात्रा 
न जाने कितने पर समाप्त होगी क्रिकेट की यह यात्रा 
क्रिकेट के खेल का क्रेज दिन प्रतिदिन घट रहा है |
यही तो क्रिकेट प्रेमियों की समझ में नहीं आ रहा है |
फिर भी समय गवां कर देख रहे हैं लोग यह खेल 
दिख रहा हैं देखो अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों का कैसा मेल 
चलो एक दूसरे के प्रति सदभावना तो आयेगी
पर एक दूसरे की कमज़ोरी भी पता लग जायेगी
फिर भी यह खेल मनोरंजन तो करता ही है
हमारे बच्चों को छुट्टियों में खुश व व्यस्त रखता है 

'सप्तपदी' कविता संग्रह में से










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