सोमवार, 14 अप्रैल 2014

देश की राजनीति

इस देश की राजनीति के कैसे सवाल हैं
जिनसे देश के हर चौराहे पर हो रहा बवाल है
देश के हर नागरिक के मन में मलाल  है
क्यों कर रहा शासन तंत्र अनोखा धमाल है

हम सोचते ही रहे कि अब देश हुआ आजाद है
हम भी पा सकेंगे आप कुर्बानियों का जो प्रसाद है
पर जीवन भर मन में रहा यही अवसाद है
कैसे ले पायेगा कोई इस देश में स्वतंत्रता का स्वाद है

हम ढूंढते ही रहे उसे हमारा ही स्वार्थ था
पर मिल न सका हमें कुछ जो बंटा बेहिसाब था
हमें जो कुछ भी मिला बस वही हमारे नाम था
राजनीति तो नेताओं का ही मुकाम था

आज राजनीति चौराहों पर खेल बन गई
वह तो विचारों को अब सेल कर गई
मन के अरमानों को दलों में दल गई
मिली जुली संस्कृति अब तो जेल बन गई

यहतो देश के नागरिकों का कमाल था
जो झेल रहे नेताओं की ज्यादतियों का धमाल था
इस राह में जनता का तो बुरा हाल था
तालियाँ बजवाना ही उनका बिछाया जाल था

हम भी देख सुन रहे हैं नेताओं को
न कर पाये वे सपने साकार जो दिखाये थे सबका
गरीब तो इस देश में गरीबी की रेखा से नीचे हो गये
अमीरों ने उनके दम से अपने महल खड़े कर दिये

इस देश की राजनीति ने तो किया कमाल है
सड़कों पर कराती है सदा बबाल है
इससे नेताओं के मन में न जरा मलाल है
गरीब जी रहे इस देश में देखो कैसे फटे हाल है |

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